इस कड़ी में अर्जुन को अभिमन्यु की दुखद मृत्यु का समाचार मिलता है और वे जयद्रथ वध की प्रतिज्ञा लेते हैं। अगली सुबह अर्जुन अकेले विशाल व्यूह को भेदते हैं, जबकि सात्यकि और भीम भी उनके पीछे आते हैं। रणभूमि में जबरदस्त युद्ध होता है – वीरता, क्रोध और शोक सब चरम पर हैं। अर्जुन का हर कदम केवल एक लक्ष्य के लिए है: प्रतिशोध।
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